आज इस संसार में चारों तरफ भ्रष्टाचार विद्यमान हैं। भ्रष्टाचार से हम अपने राष्ट्र को बचा नहीं सकते हैं। क्योंकि कुछ भ्रष्टाचार ऐसे है, जो लोग भ्रष्टाचार को रोकने वाले हैं, वो ही लोग भ्रष्टाचार करते है। पुलिस जब किसी आतंकवादी को पकड़ती है तो उससे रूपये या रिश्वत लेकर उसे छोड़ देती है और गरीब व्यक्ति को आतंकवादी बनाकर, उसे जेल में बन्दकर, उसे यातनायें देती है। इस जगह पर भ्रष्टाचार ने कार्य किया कि एक असली आतंकवादी रूपये या रिश्वत के कारण से सजा पाने से बच गया और एक गरीब व्यक्ति को सजा मिली। यह राष्ट्र की सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार है।
भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों के बीच भी भयंकर भ्रष्टाचार पनप रहा है। सरकारी अस्पतालों की दवाईया डॉक्टरों तथा अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों की जेबों में जा रहें हैं वे पैसा लेकर दवाओं को बेच रहें है। जब गरीब जनता दवा लेने सरकारी अस्पताल जाती है, तब वे लोग कहतें है कि दवा बाहर मैडिकल स्टोर से खरीद लो, सरकार, अस्पतालों को दवा नहीं भेज रहीं है। बताइये किसकी बात सत्य है क्योंकि लोहिया अस्पताल की दवाईया मैंने स्वयं डॉक्टरों साहब को अपनी जेबों में भरते देखा है, रोकने पर कहते है आप क्या कर लेगें। यह भ्रष्टाचार लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में विद्यमान है। अगर भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों में भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ तो आम गरीब जनता रोटी खरीदकर जिन्दा रहेगी या दवा खरीदकर। मुझकों यह जवाब गरीब जनता की सुरक्षा करने वाली सरकार दे। क्योंकि अधिकतर गरीब जनता के पास दवाईया खरीदने के रूपये नहीं होते और उन्हें कर्ज लेना पड़ता है। जो कर्ज गरीब जनता के आत्महत्या का कारण बनता है। अस्पतालों की इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिये सरकार को उचित कार्यवाही करनी होगी क्योंकि ये भ्रष्टाचार गरीब बीमार लोगों की जान ले सकती है।
भ्रष्टाचार का यह रूप केवल यहीं तक सीमित नहीं है। जब आम जनता को यात्रा करने जाना होता है। सरकारी बसें, आटो, टैक्सी आदि चलाने वाले चालकों में भ्रष्टाचार अधिक पाया जाता है। आये दिन यात्रियों को भ्रष्टाचार से परेशान कर रहे है। सरकारी बसें, आटो, टैक्सी चलाने वाले लोग, सरकार द्वारा तय किये गये किराये से ज्यादा किराया लेते है, न देने पर लड़ाई उतर आते है। और यात्रा करना आम जनता की लिये मजबूरी है। और यदि आम जनता या सरकार द्वारा यात्रा के समय हुए भ्रष्टाचार को न रोका गया तो स्पष्ट हैं कि आम गरीब जनता का क्या होगा ? अगर गरीब जनता को अपने रोगी को दूर अस्पताल में ले जाना है तो उसको इस भ्रष्टाचार से कितनी मुश्किलें आती है। यह सरकार अच्छी तरह से जानती है।
भ्रष्टाचार केवल ज्यादा पढ़े लिखे लोग कर रहे है यह आपकी, हमारी एक प्रकार की भूल है अगर हम अनपढ़ लोगों के बीच जाकर देखे तो अनपढ़ लोगों में भी काफी भ्रष्टाचार विराजमान है भले ही इस भ्रष्टाचार से राष्ट्र के विकास में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है,परन्तु अनपढ़ लोगों में जो भ्रष्टाचार है उससे उसके परिवार वालों का नुकसान निश्चित रूप से होता है। एक अनपढ़ व्यक्ति अगर दूध बेचता है एक लीटर दूध में दो लीटर पानी मिलाते हुए देखा गया है, और दूध को ऊँचे दाम पर बेचता है तो क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है एक अनपढ़ मजदूर अपने पैसे से शराब पीता है तथा पत्नी और बच्चों को मारता है तो क्या अनपढ़ व्यक्ति द्वारा भ्रष्टाचार नहीं है ? एक अनपढ़ व्यक्ति अपनी पत्नी तथा बच्चों का खाना छिन कर शराब पी जाता हैं, तो क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है ? और उस अनपढ़ व्यक्ति के बच्चे अनपढ़ रह जाते है। और इस भ्रष्टाचार से उन बच्चों का केवल पढ़ने लिखने का अधिकार ही नहीं बल्कि उनके खाना खाने का अधिकार भी छिन लिया जाता है। यह भ्रष्टाचार अनपढ़ गरीब लोगों में ज्यादा पनप रहा है, तथा परिवार के परिवार नष्ट हुए जा रहे है और हम इस भ्रष्टाचार को जानते हुए भी इसे भ्रष्टाचार नहीं मानते है तथा ऐसे अनपढ़ भ्रष्टाचारियों से उसके परिवार को बचा नहीं सकते है। उदाहरण के लिये मैंने तीन बच्चों को गुलाम हुसैन पूर्वा प्राथमिक विद्यालय में दाखिला दिला दिया १४ जुलाई २०१० को उन तीन बच्चों में से अर्चना (१३ वर्ष) नाम की लड़की के माता-पिता ने न केवल अर्चना को विद्यालय जाने से रोका बल्कि उसे बुरी तरह से मारा-पीटा। मेर समझाने पर गरीबी का नाटक करते है। और अर्चना का पिता अवधेश वाल्मीकि 16 जुलाई 2010 को शराब पीकर सड़क पर गाली दे रहा था। जो अनपढ़ गरीब माँ-बाप अपने बच्चों को इसलिये नहीं पढ़ाते है क्योंकि वे गरीब है। परन्तु शराब पीने के लिये उनके पास पैसे है तो क्या यह बच्चों के प्रति भ्रष्टाचार नहीं हैं।
एक उदाहरण 16 जुलाई 2010 को एक माँ अपने एक बच्चे जिसका नाम मोना (7 वर्ष) था, उसको एक छोटी सी बात पर उठाकर जमींन पर पटक दिया, उसके मुँह से काफी खुन आधे घण्टे तक बहता रहा जब मैंने उसकी माँ से बच्चे को अस्पताल ले जाने को कहा तो वह बच्चे को मारने के लिये दौड़ाती है और कहती है, आपको इसको बचाने के लिए पैंसे मिलते होगे। तब मैंने उस बच्चे को बचाने के लिये चाइल्ड लाइन से मदद लेकर उसको लोहिया इमरजेंसी में इलाज कराया। उस बच्चे का मुँह इतना ज्यादा घायल है कि वह बच्चा लगभग एक सप्ताह तक खाना नहीं खा सकता। अब बताइये एक अनपढ़ माँ के द्वारा यह भ्रष्टाचार हैं कि नहीं, कि वे बच्चे को मार तो सकती है परन्तु विद्यालय नहीं भेज सकती है।
इसके अतिरिक्त अन्य रूपों में राष्ट्र में भ्रष्टाचार विद्यमान है। जैसे राशन की दुकान पर भ्रष्टाचार राशन कार्ड धारकों को समय पर राशन न देकर राशन को ऊँचे दामों पर बेचना है। और इस प्रकार पूरे राष्ट्र में भ्रष्टाचार विद्यमान है। अगर सरकार या जनता द्वारा भ्रष्टाचार को रोका नहीं गया तो आम गरीब जनता का क्या होगा।
इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कानून बनाना होगा, और अगर कानून है तो भ्रष्टाचार को रोका क्यों नहीं जा रहा है ? परन्तु क्या हम सभी ऊपरी पहल व दिशा निर्देश का ही इंतजार करते रहेंगे या फिर कई बातों को लेकर भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास भी शुरू करेगें जैसा कि कानून में वर्णित है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कानून समाज के प्रगतिशील मूल्यों को दर्शाता है। इन मूल्यो को बढ़ावा मिलना हम सभी के सामूहिक प्रयास से ही संभव है।
किरन
Saturday, October 9, 2010
भ्रष्टाचार के जाल में फंसा राष्ट्र
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bhrashtachar
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